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कर्नाटक ने हिंदुत्व के खिलाफ जनता के मुद्दों को प्रमुखता दी है।

कर्नाटक ने हिंदुत्व के खिलाफ जनता के मुद्दों को प्रमुखता दी है।
 
ईस्टर्न क्रीसेंट डेस्क 
कर्नाटक के लोगों को वैसे भी हिंदुत्व के नारे में कोई दिलचस्पी नहीं थी और जब उन्होंने कांग्रेस को लोगों की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं पर चर्चा करते देखा, तो पार्टी में उनकी दिलचस्पी बढ़ गई।
 
हिंदुत्व को नकारने के और भी कई कारण हैं, लेकिन उनके विस्तार में न जाकर हम जानना चाहते हैं कि क्या अब बीजेपी हिंदुत्व को हाशिये पर डाल देगी? हर कोई जानता है कि चाहे कुछ भी हो जाए वह इस विचार को नहीं छोड़ सकती! यहां अहम सवाल ये है की क्या वह चुनाव परिणामों से अपने अंदर कुछ बदलाव लाएगी? 
 
हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक ने हिंदुत्व के खिलाफ जनता के मुद्दों को प्रमुखता दी है। इससे पहले गोवा और अन्य राज्य भी बीजेपी को नकार चुके हैं.
 
बीजेपी की सत्ताधारी पार्टी जानती है कि हिंदू धर्म देश की पूरी आबादी द्वारा स्वीकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए पार्टी ने 2014 में सबके 'विकास' का नारा लगाया था। तब हिंदुत्व पर चर्चा नहीं हुई थी, न ही इसे कोई खास विषय बनाया गया था, लेकिन धीरे-धीरे 'विकास' वापस चला गया और हिंदुत्व मुख्य विषय बन गया।अब जब एक के बाद एक राज्य ने हिंदुत्व को खारिज कर दिया है, तो अब वो कुछ अलग विचार के साथ मैदान में उतरे गी।
 
अब देश के जनता को ध्यान में रखना है कि वो पुराने शिकारी के नए जाल में नहीं फैंसेंगै और देश को आगे ले जाने के बजाए पीछे नहीं ले जाएंगै।
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